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आईसे मस्कुराती है यो फिजा बुलाती है
उच्छे उच्छे परबतों के साए हैं चलके
खुश्बू है पहानों की, मस्ती है नजारों की
सबके तिल पे चाया है नशा
अरे ऐसे मुस्कृराती है, यो फिजा बुलाती है